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समय भेद

Ek Alaukik Anubhav
Ek Alaukik Anubhav
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जब भी मैं विचार रुपी समंदर के लहराते हुए सागर में डुबकी लगता हूँ तो अनायास ही उसकी महानतम गहराई में समा जाता हूँ | जहां मुझे विचार रुपी अनमोल पदार्थ मिलते हैं | आइये कुछ विचार रत्न आपको भी  दिखता हू |


मेरे विचार से इस ब्रह्माण्ड में जितने भी गृह तारे नक्षत्र  तथा पृथ्वी में जितने भी पदार्थ हैं | वह सब एक तत्त्व मात्र हैं |यहाँ तक की मनुष्य भी एक पदार्थ है | वह भी कई तत्त्वों के योग से बना है | कोई महान शक्ति है, जो पूरे ब्रह्माण्ड की गति को नियंत्रित करती है |वही परम शक्ति है, उसी के प्रभाव से ब्रह्माण्ड के समस्त पदार्थ क्रिया शील होते हैं, ब्रह्माण्ड में जो भी हलचल होती है वह उस महा शक्ति के प्रभाव से ही संपन्न होती है | तारों का चमकना, ग्रहों का बिना आधार के लटके रहना तथा एक ही धुरी पर गोल-गोल घूमना | ताप तथा वायु का आभास होना जो की द्रष्टव्य नहीं है | ऋतू का परिवर्तन, दिन तथा रात्री का होना, यह सब एक ऐसी परम शक्ति से बंधे हैं जिसे समय कहते हैं | प्रथ्वी की हर छोटी से छोटी घटना भी समय से प्रभावित होती है | इस बात को हम कुछ इस तरह भी सत्त्यापित कर सकते हैं | प्रथ्वी सूर्य का चक्कर ३६५ दिन में ही क्यू पूरा करती है ३६४ या ३६७ दिनों में क्यू नहीं | क्यू की प्रथ्वी  सूर्य नहीं बल्कि समय की परिधि में घूम रही है |प्रथ्वी पर होने वाली हर छोटी से छोटी घटना भी समय से प्रभावित होती है | यहाँ तक की प्रथ्वी पर कोई पत्ता भी हिलता है तो वो भी निर्धारित समय से निर्धारित समय तक | समय और ईश्वर एक ही सिक्के के दो पहलु हैं | समय इश्वर की माया है, समय इश्वर का दूसरा नाम है | समस्त प्रथ्वी, समस्त श्रष्टि तथा समस्त ब्रह्माण्ड को वही नियंत्रित करता है वही श्रष्टि के कण-कण को नियंत्रित करता है | क्यू की ईश्वर ब्रह्माण्ड में नहीं, बल्कि ब्रह्माण्ड ईश्वर में बसा है|

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